माँ के दर पे लगा हुआ है भक्त जानो का मेला
बाँट रहा है सब को खुशीआं माँ का दर अलबेला
मेरी मैया जी के द्वारे ढोल बाजे रे,
मेरी माँ काली के द्वारे ढोल बाजे रे ।
ढोल बाजे रे, ढोल बाजे रे,
मेरी मैया जी के द्वारे ढोल बाजे रे ॥
माँ के द्वारे सवाली इक आया रे,
माँ के लिए वो चुनर इक लाया रे ।
माँ को चुनर प्यारी लागे रे,
मेरी मैया जी के द्वारे ढोल बाजे रे ॥
माँ के द्वारे सुनार इक आया रे,
माँ के लिए वो कंगना लाया रे ।
माँ को कंगना वो प्यारा लागे रे,
मेरी अम्बा जी के द्वारे ढोल बाजे रे ॥
माँ के द्वारे दर्जी इक आया रे,
माँ के लिए वो चोला लाया रे ।
माँ को चोला प्यारा लागे रे,
मेरी मैया जी के द्वारे ढोल बाजे रे ॥
माँ के द्वारे पुजारी इक आया रे,
माँ के लिए वो हलवा लाया रे ।
माँ को हलवा वो प्यारा लागे रे,
मेरी अम्बा जी के द्वारे ढोल बाजे रे ॥स्वरनरेन्द्र चंचल
A fair of devotees is organized at the rate of mother.
Sharing happiness to all
dhol baje re by meri maiya ji,
Dhol Baje Re by my mother Kali.
Dhol Baje Re, Dhol Baje Re,
dhol baje re by meri maiya ji
The question asked by mother is Ik Aaya Re,
That Chunar Ik Laya Re for mother.
Maa ko chunar pyari lage re,
dhol baje re by meri maiya ji
By mother’s goldsmith Ik aaya re,
He brought Kangana for mother.
Mother to Kangana Woh Pyara Laage Re,
dhol baje re by meri amba ji
Ik Aaya Re, tailor made by mother
He brought the chola for the mother.
Mother ko chola lovely lage re,
dhol baje re by meri maiya ji
The priest ek aaya re by mother,
He brought pudding for mother.
Maa ko pudding that lovely lage re,
Dhol Baje Re by Meri Amba ji Swarnarendra Chanchal