मानव जीवन का लक्ष्य 2

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अध्यात्मवाद के आनंद के लिए हमें बाहरी साज की आवश्यकता नहीं है। साज दिल में सजे हुए हैं जिस दिन दिल के साज झंकारेगे तभी भक्ति मार्ग और अध्यात्मवाद के मार्ग पर आएगे।

अध्यात्मवाद के आनंद मे प्रभु प्राण नाथ के प्रेम का बहता हुआ स्त्रोत अन्तःकरण में है। अध्यात्मवाद में हजारों वीणाए एक साथ दिल में बज रही है भक्त परम तत्व परमात्मा के चिन्तन में लीन हो जाता है।

भक्त का रोम रोम भगवान श्री हरि के सामने नृत्य कर रहा है। एक अध्यात्मिक का भगवान कण-कण में व्यापक है। भक्त जब चाहे अपने भगवान को दिल की आंखों से निहारता है।

अध्यात्मिक का आनंद परिवार वाद संसारिक सम्बन्ध एवं संगठन से ऊपर का आनंद है। जो सुख और आनंद अन्य व्यक्ति या संगठन के माध्यम से लिया जाता है।कथा ग्रथं और मन्दिर का आनंद क्षणिक आनंद है

हमे परमानन्द के आनंद मे गहरा चिन्तन करना है। मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है। मै कोन हूँ मेरा बार बार जन्म और मृत्यु होती है। आवागमन के चक्कर से मै कब मुक्त होऊगा।

कब आत्मा का परम प्रकाश रूप से साक्षात्कार होगा। परम का साक्षात्कार पुरणानंद है अन्तःकरण से उत्पन्न होने वाला आंनद स्थाई है। जिसके हृदय में आनंद प्रकट होता है वह शब्द रूप दे नहीं सकता है वाणी मौन हो जाती है अ प्राणी तु अन्दर झांक कर देख तेरी झोपड़ी में परमतत्व परमात्मा विराजमान है।

अध्यात्मिक ज्ञान के लिए हमने पृथ्वी पर मनुष्य रुप में जन्म लिया यह भगवान ने मानव जाति पर कृपा की है। अध्यात्म का मिनिगं है जागृत होना सचेत होना। जब तक प्राणी अपने आप में नहीं ढुबता तब तक कोई सचेत नहीं हो सकता है अध्यात्मवाद आत्म चिंतन का मार्ग है। तु मुर्ति से बात करता है

एक बार दिल में परम सत्य स्वरूप श्री हरी को निहार ले। तेरे दिल के तार सदा सदा के लिए झंकार जाएगा। शरीर तत्व से ऊपर उठ परमतत्व परमात्मा से साक्षात्कार होगा। जय श्री राम अनीता गर्ग

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