भक्ती बंधी हुई

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भक्ति हम सबको दिखाकर करते हैं तब भक्ति के अन्दर दृढता को पकड़ नहीं सकते हैं। खुली वस्तु पर सबकी नजर रहती है। ऐसे ही भक्तों का जीवन सरल नहीं होता है। भगवान भक्त पर पहरेदार बिठा देते हैं। वे ऊपरी तोर पर तो अनेक बंदिशें लगाते हैं। उनकी बंदिशों से मार्ग दृढ हो जाता है। क्योंकि भक्ति का आनंद प्रेम भक्त बाहर बिखरता नहीं है। बस मन ही मन भगवान का सिमरण स्मरण और चिंतन करता है। भक्त जानता है कि भगवान ने मुझ पर विशेष कृपा की है भगवान ने भक्त और भक्ति की रक्षा के लिए लिए पहरेदार भी अपने आप बिठा दिए हैं। भक्त भगवान को प्रणाम करता है

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