भगवान जैसा करेगा वैसे ही ठीक है।


अब तो भगवान ही करेगा, भगवान जैसा करेगा वैसे ही ठीक है। आज हम थोङी सी कठीन परिस्थिति आने पर, समय का परिवर्तन होने पर हम जल्दी ही यह कहते हुए देखते हैं भगवान जैसा करेगा वैसे ही ठीक है। हम अपने जीवन में भगवान भरोसे की बात करते हैं। भगवान कहते हैं तु मुझे अपनी बागडोर सम्भाल कर देख तेरे जीवन को आनन्द से भर दुंगा। तु कहता है भगवान जैसा करेंगे देख लुगां करता नहीं है। भगवान जैसा करेंगे वैसे ही ठीक है मे तुम भगवान पर आश्रित हो और भगवान पर आश्रित नहीं हो । तुम कभी बागडोर को अपने हाथ में लेते हो और कभी भगवान को तुम अपनी बागडोर को भगवान को समर्पित नहीं करते हो।  यदि तुम परमात्मा को बागडोर देना चाहते हो तब कुछ समय परमात्मा मे लीन होकर देखो सुबह शाम दोपहर भगवान को भजते हुए बागडोर को कैसे परमात्मा अपने हाथ में लेते हैं। तु अपनी बागडोर को अपने हाथ में भी रखना चाहता है। भगवान पर विश्वास नहीं करता है। जिस दिन हम भगवान जैसा करेंगे वैसे ही ठीक है कहते हैं। उस समय अपने आपका विस्वास खोते हैं। हमारा भरोसा हमारी आत्म शक्ति हमारी कर्म निष्ठा और कर्तव्य को हम कमजोर करते हैं। भगवान जैसा करेंगे शब्दों का हम विश्लेषण करते हैं। तब हम अपने कर्तव्य और कर्म को कमजोर करते हैं।  भगवान किसी अन्य के माध्यम से अमुक व्यक्ति को सहायता भेजते हैं। एक दो बार ऐसा होता है।

तब हमारे अन्दर विचार बनने लगते हैं हम किसी का करेगे तभी कोई हमारी सहायता करेगा। हम अनेक मित्र बनाते हैं यथा सम्भव अन्य के कार्य में सहयोग भी  करते हैं। बहुत प्रेम प्रकट करते हुए हमारा अनरजी लेवल गिरने लगता है।जिस प्रेम को हम दिखाना चाहते हैं। वह लेन देन पर आधारित है।

हम यह भी कहते हैं कि मुझे किसी की भी सहायता की आवश्यकता नहीं है। हमारी कार्य शैली में कोई सहायता करेगा इतनी गहराई से बैठा होता है। हम अपने अन्तर्मन मे झांक ही नहीं पाते हैं। हम भगवान से यह भी कहते हैं भगवान मेरा यह कार्य हो जाए। भगवान मेरा तु ही सहायक है।

भगवान से एक बार मांगने लगते हैं तब मांगते ही जाते हैं। भगवान भी हमे किसी अन्य के सहारे सहायता भेजते हैं। हम सहायता चाहते भी है और नहीं भी। ऐसे हम दोहरे मार्ग पर चलते हुए।

भगवान को हम सर्वशक्तिमान नहीं मानते हैं। भगवान को सर्वशक्तिमान मानते तब आपके अन्तर्मन का विस्वास दृढ होता। हम भगवान का चिन्तन मनन और सिमरण  शुद्धता पुरवक नहीं कर रहे हैं तभी हम भगवान जैसा करेगा शब्दों को कहते हैं।

  भगवान कहते हैं तु  समर्पित नहीं होता है। तेरा समर्पण गहरा होगा तब तु कहेगा भगवान की कृपा से अब सबकुछ अच्छा होगा। सबकुछ अच्छा होगा का अर्थ है हम भगवान के चिन्तन मनन में इतने गहरे डुब गए हैं। अब कोई परिस्थिति विपरीत हो ही नहीं सकती है। हमारी ईश्वर में आस्था जितनी दृढ होगी उतने ही हमारा आत्मविश्वास दृढ होगा।प्रशन मन में उठता है हमारा आत्मविश्वास कैसे दृढ हो।भगवान का नाम जप सिमरण मे क्या है।

नाम जप हमारे अन्दर के विकारों को जला कर हमें शुद्ध हृदय बनाता है हम देखते हैं भगवान नाम सिमरण करते हुए हम मेहनत बहुत करते हैं हमारी आत्म शक्ति जागृत होने लगती है। हमारे अन्दर कार्य कुशलता डीसीजन पावर की शक्ति बढ जाती है। नकारात्मकता खत्म हो जाती है। हम पीछे मुङकर नहीं देखते हैं।

कर्तव्य और कर्म की शुद्धता में हमें हर पथ पर सफलता मिलती है । हम कहते हैं भगवान की कृपा से यह सब हो रहा है। नाम भगवान को अन्तर्मन में बिठा कर देखो सफलता के द्वार खुलते जाएगे हमारे कर्म करने की किरया में बदलाव आ जाता है। आप अपने अन्तर्मन मे स्थित होगें तब अन्य से सहयोग और सहायता के विचारों से ऊपर उठ  जाओगे हैं। आज mobile ने हमारे अध्यात्म की गहराई पर चोट की है।हमारी ऊर्जा बिखर रही है। हमे अपनी ऊर्जा को अपने अन्दर समेट कर रखना है। जय श्री राम अनीता गर्ग

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