अपनी आध्यात्मिक अवस्था को कैसे जाने
प्रत्येक साधक की कुछ दिन ध्यान साधना करने के बाद यह जानने की इच्छा होती हैंकी मेरी कुछ आध्यात्मिक प्रगति
प्रत्येक साधक की कुछ दिन ध्यान साधना करने के बाद यह जानने की इच्छा होती हैंकी मेरी कुछ आध्यात्मिक प्रगति
पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा । फिर पानी बह जाएगा और
बचपन में यह खेल हम सभी ने खेला होगा।और यदि नहीं तो आज ठाकुर जी के साथ सीख लों। बाल
एक राजा की पुत्री के मन में वैराग्य की भावनायें थीं। जब राजकुमारी विवाह योग्य हुई तो राजा को उसके
उस परमात्मा के हजार नामों में से एक नाम है ‘हरि’। जो पाप, दुःख हर लेता है, अपनी कृपा भर
कैकेयी वर्षों पुराने स्मृति कोष में चली गई उन्हें वह दिन याद आ गया जब वे राम और भरत को
नाम-स्वाँस दोउ विलग चलत हैं, इनकौ भेद न मोकौं भावै॥स्वाँसहि नाम नाम ही स्वाँसा, नाम स्वाँस कौ भेद मिटावै।बाहिर कछु
आहा ! प्रेम का स्वरूप अनिर्वचनीय है ये सूत्र अद्भुत है । प्रेम के विषय में जो भी बोलेगा कहेगा
भक्त भगवान को भजते हुए, भक्त भगवान राम में समा जाना चाहता है।भक्त राम राम राम भजता रहता है। भक्त
लाहौर के एक ब्राह्मण दम्पप्ति दयाल राम और उनकी धर्म पत्नी निर्धन थे कोई संतान भी नही थी। एक बार