राम मंदिर के उद्घाटन की धुम मची है चारो ओर।
राम मंदिर के उद्घाटन की धुम मची है चारो ओर।हिन्दू संस्कृति अब जाग्रत होगी जन जन मेराम मंदिर राम राज्य
राम मंदिर के उद्घाटन की धुम मची है चारो ओर।हिन्दू संस्कृति अब जाग्रत होगी जन जन मेराम मंदिर राम राज्य
ज्ञान कोई नहीं देता है। ज्ञान प्राप्त कर के क्या करोगे जीवन अर्पण करो तब कुछ हो एक एक सांस
प्रथम राम राम मेरे भगवान् तुमको करती हूं। हे परमात्मा तुम मेरी आत्मा के स्वामी हो। हे परम पिता परमात्मा
दिपावली पर मन मन्दिर सजाएंगे। हमारे मन की पवित्रता ही दिपावली है शान्ति ही अयोध्या नगरी है। हमे मन मन्दिर
तुम विराट तुम जीवन धन हो ।तुम सब प्राणो के प्राणअणु-अणु की गति साधन संबल । तुम ज्योतित जय सत्य
हमारा मन तङफ रहा है दिल भाव चाहता है भाव बनते नहीं है। हम खोज रहे हैं हमे खोज का
परमेश्वर से मिलन करने का मौका केवल मनुष्य-जन्म में ही मिलता है परमात्मा ने सिर्फ इन्सान को ही यह हक़
आज मैं अपने आपको ठोक ठोक कर देखना चाहती हूँ मुझमे क्या छिपा हुआ है मुझमे कुछ गुण भी है
साधक अपने अन्दर स्थिरता कैसे देखता है साधक हर क्षण चोकना रहता है वह अपने अन्तर्मन के भाव पढते हुए
एक दिन साधक के हृदय में प्रशन उठता है आत्म बोध आत्मज्ञान क्या है , आत्म स्वरूप कैसे होता है।