भगवान (Bhagvan)

सरस्वती नाम स्तोत्र

सरस्वत्यां प्रसादेन, काव्यं कुर्वन्ति मानवाः।तस्मान्निश्चल-भावेन, पूजनीया सरस्वती।।१।। श्री सर्वज्ञ मुखोत्पन्ना, भारती बहुभाषिणी।अज्ञानतिमिरं हन्ति, विद्या-बहुविकासिनी।।२।। सरस्वती मया दृष्टा, दिव्या कमललोचना।हंसस्कन्ध-समारूढ़ा, वीणा-पुस्तक-धारिणी।।३।।

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श्रीराम के बालरूप के दर्शन के लिए शंकरजी की मदारी-वानर लीला

जेहि सरीर रति राम सों सोइ आदरहिं सुजान।रुद्रदेह तजि नेहबस बानर भे हनुमान।। (दोहावली १४२) अर्थात्–सज्जन उसी शरीर का आदर

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