बाबा तेरे हाथो में ये लाज हमारी है
पार करो या नहीं करो ये मर्जी तुम्हारी है, बाबा तेरे हाथो में ये लाज हमारी है, जब भी कोई
पार करो या नहीं करो ये मर्जी तुम्हारी है, बाबा तेरे हाथो में ये लाज हमारी है, जब भी कोई
(तर्ज: सांवरे की महफ़िल को) जिसने भी बाबा को भावों से सजाया है , उसने तो बाबा को हर पल
खाटू वाले श्याम बाबा आओ तो खरी, टाबरिया ने हिवड़ा सु लगाओ तो सरी धन कोनी दौलत कौनी मै तो
कब तक डगर डगर की जगत में ठोकर खायेगा तू देख हार के श्याम मेरा नीले चढ़ आयेगा, बिन मांगे
मेरे खाटू वाले बाबा के दरबार में भक्त जो आते है, वो मन ईशा फल पाते है और भवसागर तर
पलकें ही पलकें बिछायेंगे, जिस दिन श्याम प्यारे घर आयेंगे,॥ हम तो हैं कान्हां के जन्मों से दीवाने रे॥ मीठे-मीठे
केसा सजा दरबार है खाटू वाले का इंतज़ार है, लेकर के मोर छड़ी वो आयेगा, खाली झोलियाँ भर जाएगा, सेठो
खोज लिया सारी दुनिया पर तुझसा नहीँ है पाया – ॥ जो पाया खाटू नगरी में और कहीं ना पाया
मेरे मन में तेरा बसेरा है , तेरे सिवा कोन यहाँ मेरा है, मतलब की है दुनिया सारी मतलब का
तर्ज-जब जब भी इसे पुकारा दुनिया पे संकट आयो,मंदिर भी हुयो परायो जो हुयो ना अब तब बाबा,तू ऐसो खेल