मैं भी बोलूं राम तुम भी बोलो ना,
मैं भी बोलूं राम तुम भी बोलो ना, राम है अनमोल मुख को खोलो ना ॥ तू मृत्यु लोक में
मैं भी बोलूं राम तुम भी बोलो ना, राम है अनमोल मुख को खोलो ना ॥ तू मृत्यु लोक में
जो बाग़ लगाया है, फूलों से सजा देना,भगवान मेरी नईया,उस पार लगा देना ||अब तक तो निभाया है,आगे भी निभा
होली खेल रहे नन्दलाल,वृन्दावन की कुंज गलिन में।वृन्दावन की कुंज गलिन में,वृन्दावन की कुंज गलिन में॥ संग सखा श्याम के
नाम राम को अंक है सब साधन हैं सून।अंक गएँ कछु हाथ नहिं अंक रहें दस गून॥ शून्य के पहले
कान्हा रे थोडा सा प्यार दे,चरणों में बैठा के तार देओ गोरी, घूंघट उतर दे,प्रेम की भिक्षा झोली में दार
आ श्यामा तेरे ते रंग पावां,होलीयां दा बदला मैं अज्ज लावां। बंसी मधुर बजा जाना,गीता ज्ञान सूना जाना।चरण तेरे तो
मुश्किल से नर तन मिला है, ये गंवाने के काबिल नहीं है।नाम हरि का हृदय से न भूलो, ये भुलाने
मुझे अपने ही रंग में रंगले , मेरे यार साँवरे।मेरे यार साँवरे, दिलदार साँवरे ऐसा रंग तू रंग दे सांवरिया,
मेरी चौखट पे चल के आजचारो धाम आये हैंबजाओ ढोल स्वागत मेंमेरे घर राम आये हैं कथा शबरी की जैसेजुड़
होरी खेलन पधारो वृन्दावन में होरी खेलन पधारो वृन्दावन में।।श्यामा खेलन पधारो वृन्दावन में।राधे खेलन पधारो वृन्दावन में।। वृन्दावन में,