भज मन मेरे राम
भज मन मेरे राम नाम तू , गुरु आज्ञा सिर धार रे, नाम सुनौका बैठ मुसाफिर जा भवसागर पार रे,
भज मन मेरे राम नाम तू , गुरु आज्ञा सिर धार रे, नाम सुनौका बैठ मुसाफिर जा भवसागर पार रे,
राम श्रीराम कुटिया में कब पधारेंगे। बूढी भिलनी कोे प्रभु कब उधारेंगे।मेरे.. नाना पुष्पों से रस्ता सजाऊँगी में, राम ही
“यह सच है तो अब लौट चलो तुम घर को |” चौंके सब सुनकर अटल कैकेयी स्वर को | सबने
रे मन मुर्ख कब तक जग में जीवन व्यर्थ बिताये गा, राम नाम नहीं गायेगा तो अंत समय पछतायेगा, रे
प्रगटे हैं चारों भैया में, अवध में बाजे बधईया । जगमगा जगमग दियाला जलत है, झिलमिल होत अटरिया, अवध में
जय श्री राम हरे स्वामी जय सिय राम हरे । भक्त जनन दुख भंजन कृपा निधान हरे ॥ क्रीट मुकुट
अब मंदिर बन ने लगा है भगवा रंग चड़ने लगा है जब मंदिर जाएगा सोच नजारा क्या होगा बोल जय
राम नाम दा गिधा,नी तू पा ले जिंदे मेरिये, पुठा भावे सीधा नी तू पा ले जिंदे मेरिये, राम नाम
हे दयामय आप ही संसार के आधार हो आप ही करतार हो हम सबके पालनहार हो हे दयामय आप ही
आनंदले रंगले दंगले,आनंदले रंगले दंगले ॥ भाव सुमने माळून ,भक्ति चंदने लेपून ॥ रोम रोमातून मी गंधले, आनंदले रंगले दंगले……