शंकर नमामि शंकर नमामि
शंकर नमामि शंकर नमामि, अंतर यामी और निष्कामी, जय बाबा ओमकारी स्वामी, मनर मदा की पावन धरा करती है अभिषेक
शंकर नमामि शंकर नमामि, अंतर यामी और निष्कामी, जय बाबा ओमकारी स्वामी, मनर मदा की पावन धरा करती है अभिषेक
भोले गौरा को ब्याहने आया , बड़ा विकराल रूप बनाया, गले में सर्पो की माला, तन पे है मृग छाला,
जल बरसे भीगे जटा धारी जल बरसे,, हो जल बरसे भीगे जटा धारी, गोरा ने भगिया में घोटा लगाया, पीमे
कट प्रीता नाल चरखा सिमरन दा, बड़े ही भागा नाल मिलिया हीरे मोतियां नाल जड़ियाँ, चढ़ी जवानी सिर ते तेरे
पार्वती बोली भोले से ऐसा महल बना देना, कोई भी देखे तो ये बोले क्या कहना भाई क्या कहना, जिसदिन
आरती करिए शिव शंकर की, उमापति भोले हरिहर की, चंद्र का मुकुट शीश पे सोहे, नाग की माला मन को
बम बम बोले भंडारी शिव शम्भू रुदर अवतारी, मैसेज भक्तो के पड़ के शिव हर लो पीड़ा सारी, भगवान कभी
ॐ महाकाल के काल तुम हो प्रभो, गुण के आगार सत्यम् शिवम् सुंदरम्, कर में डमरू लसे चंद्रमा भाल पर,
भोले का डमरू शिव का त्रिशूला, भोले ये का भक्ता राह है भुला, सावन के महीने भोले सबकी सुनते है,
मेरा शिव भोले भंडारी केलाश से चल के आ गया , मेरा नागा वाला बाबा केलाश से चल के आ