इस में बसा है जी डमरू वाला
तन मेरा मंदिर और मन है शिवाला , इसमें बसा है जी बस डमरू वाला, दिन रात जपता हु बस
तन मेरा मंदिर और मन है शिवाला , इसमें बसा है जी बस डमरू वाला, दिन रात जपता हु बस
मैं जोगन बन जाऊ गी शम्बू तोहे कारन, शम्बू तोहे कारन, बाबा तोहे कारन, मैं ढम ढम वांगु नचदी फिरा,
शिव रात दिया शिव नु बदईया, है सज गई हिमाचल दी वादी, आज शिव पारवती दी है शादी , केलाश
जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी, विलो लवी चिवल्लरी विराजमान मूर्धनि, धगद् धगद् धगज्ज्वलल् ललाट पट्ट पावके, किशोर चन्द्र शेखरे रतिः
तेरे साथ रहना मुश्किल, हो गया है मेरा भोले, हो गया है मेरा तुझको, जाऊँ छोड़ के, तू पीना भांग
आ गौरा तैनु जंज दिखावा, देख महल ते चढ़के ओ पतिदेव तेरा, आया बैल ते चढ़के ओ पतिदेव तेरा, भैरो
तेरे रखवाले महाकाल काल से क्या डरना, क्या डरना डरना काल से क्या डरना, शिव काल की बदले चाल काल
शिव शिव बोल मनवा शिव शिव बोल रे, शिव शंकर हरी महादेव बोल रे….. क्यों विषयों में मन है लगाया,
हम तो तेरे दरबार के दरबारी हो गए, भोले तेरे नाम के पुजारी हो गए, ये कीर्तन और तेरे भजन
भोले शंकर की शरण में आ, जीवन तेरा ये संवर जायेगा, भव सागर में जो अटकेगा, वो बेडा पार उतर