प्रभु संकीर्तन 26
हम समझते हैं हमने बहुत कुछ कर लिया है तब अभी हमने कुछ किया ही नहीं है जब तक यह
हम समझते हैं हमने बहुत कुछ कर लिया है तब अभी हमने कुछ किया ही नहीं है जब तक यह
हे प्रभु प्राण नाथ हे कृष्ण हे दीनानाथ मै तुम्हे एक ही विनती करती हूँ ।हे मेरे स्वामी भगवान् नाथ
जब देश संकट के बादल घीरे है तब माताओं और बहनों की प्रार्थनाओ में अपना परिवार और बच्चों से
जय श्री राम जय गुरुदेव गुरुदेव को प्रणाम है एक भाव में भक्त भगवान का बन जाना चाहता है भगवान
राम नाम दिल को छू जाए रूक रूक कर कार्य करते हुए रोते और हंसते हुए बाजारों में घुमते हुए
कृष्ण हमारे माता पिता है, कृष्ण हमारे पति है कृष्ण ही पुत्र और पुत्री है, कृष्ण हमारे भगवान है कृष्ण
भगवान् ने सृष्टि-रचना की तो कहीं से मसाला मंगवाया ? वे खुद ही संसार बन गये – ‘एकोअह्म बहु: स्याम’
नाम भगवान मे भक्त को किसी बात की चिंता नहीं रहती है भक्त भगवान को भजते हुए भगवान का बन
परमात्मा ने मनुष्य को बनाते हुए मानव के अन्दर सबकुछ दे कर पृथ्वी पर भेजा है। मनुष्य ने अपनी दृष्टि
भक्त भगवान का सिमरण करते हुए मन ही मन सोचता है। मुझे अपने मन को राम नाम का पाठ पढाना