परमात्मा की कृपा प्रार्थना
प्रार्थना *हे जगत के आधार! हे ब्रह्मा!हे विष्णु! हे परमसत्ता शिव!आप हम पर अनंत-अनंत कृपा बरसाते हो! हम पात्र हो
प्रार्थना *हे जगत के आधार! हे ब्रह्मा!हे विष्णु! हे परमसत्ता शिव!आप हम पर अनंत-अनंत कृपा बरसाते हो! हम पात्र हो
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि।।१।। आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि।।२।। मन्त्रहीनं क्रियाहीनं
🕉 नम: शिवाय श्री गुरु चरणकमलेभ्यो नमः!!ॐ श्री काशी विश्वनाथ विजयते🙏* सर्वविपदविमोक्षणम् विश्वेश्वरि त्वं परिपासि विश्वं विश्वात्मिका धारयसीति विश्वम्।विश्वेशवन्द्या भवती
कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! अनेक रूप रूपाय विष्णवे प्रभु विष्णवे वे अतिमानवीय हैं, दैवीय हैं किंतु फिर भी सर्वसुलभ है अपने
मुक्त पुरुष का किसी चीज से कोई आग्रह नहीं है, कि ऐसा ही होगा तो ही मैं सुखी रहूंगा। जैसा
प्रार्थना प्रेम का परिष्कार है। प्रार्थना की सुगंध है। प्रेम अगर फूल तो प्रार्थना फूल की सुवास। प्रेम थोड़ा स्थूल
एक बच्चा प्रतिदिन अपने दादा जी को सायंकालीन पूजा करते देखता था। बच्चा भी उनकी इस पूजा को देखकर अंदर
हनुमत तेरी बंदगी, करता सब संसार|राम नाम के जाप से,मिटते कष्ट हजार || ईश्वर वंदन भक्ति का, मिले हमें वरदान
आशुतोष सशाँक शेखर चन्द्र मौली चिदंबरा, कोटि कोटि प्रणाम शम्भू कोटि नमन दिगम्बरा, निर्विकार ओमकार अविनाशी तुम्ही देवाधि देव ,जगत
*हे सच्चिदानंद स्वरुप, हे सर्वाधार सर्वेश्वर, सर्वव्यापक,सर्व अंतर्यामी आपके चरणों में हमारा प्रणाम स्वीकार हो।* हे अजर,अमर,अभय, नित्य पवित्र,शुद्ध-बुद्ध,मुक्त स्वभाव!