
जगद्धात्री स्तोत्रम्
आधाररूपे चाधेये धृतिरूपे धुरन्धरे।ध्रुवे ध्रुवपदे धीरे जगद्धात्रि नमोऽस्तु ते।। शिवाकारे शक्तिरूपे शक्तिस्थे शक्तिविग्रहे।शक्ताचारप्रिये देवि जगद्धात्रि नमोऽस्तु ते।। जयदे जगदानदे जगदेकप्रपूजिते।जय

आधाररूपे चाधेये धृतिरूपे धुरन्धरे।ध्रुवे ध्रुवपदे धीरे जगद्धात्रि नमोऽस्तु ते।। शिवाकारे शक्तिरूपे शक्तिस्थे शक्तिविग्रहे।शक्ताचारप्रिये देवि जगद्धात्रि नमोऽस्तु ते।। जयदे जगदानदे जगदेकप्रपूजिते।जय

नित्य स्मरण मात्र से ही दुःस्वप्न नाश हो जाएगा। ये सभी सिद्धिया देनेवाला स्तोत्र है जिससे दुःस्वप्न नाशन, वाकसिद्धि, सिद्धिप्राप्ति

घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयङ्करि।भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।१।। ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते।जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्।।२।। जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि।द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि
नमो देव्यै महादेव्यै सुरभ्यै च नमो नमः।गवां बीज स्वरूपायै नमस्ते जगदम्बिके।।१।। नमो राधा प्रियायै च पद्मांशायै नमो नमः।नमः कृष्ण प्रियायै

एक सदाचारिणी ब्राह्मणी थी, उसका नाम था जबाला। उसका एक पुत्र था सत्यकाम। जब वह विद्याध्ययन करने योग्य

आलोचना में छुपा हुआ सत्य और प्रशंसा में छुपा हुआ झूठ यदि मनुष्य समझ जाए तो आधी समस्याओं का समाधान

पुनरपि जननं पुनरपि मरणं, पुनरपि जननी जठरे शयनम्।इह संसारे बहुदुस्तारे, कृपयाऽपारे पाहि मुरारेभजगोविन्दं भजगोविन्दं, गोविन्दं भजमूढमते।नामस्मरणादन्यमुपायं, नहि पश्यामो भवतरणे ॥

एक ब्राह्मण था रोज पीपल में जल चढ़ाता था। पीपल में से लड़की कहती पिताजी मैं तेरे साथ चलूँगी। ब्राह्मण

।। जय छठ मैया की, षष्ठी देवी स्तोत्र ।। नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नम:।शुभायै देवसेनायै षष्ठी देव्यै नमो

कार्तिक की कहानी एक जाट का था एक भाट का था। दोनों दोस्त थे। जाट का चला