सोलह पौराणिक कथाएं पिता के वीर्य और माता के गर्भ के बिना जन्मे पौराणिक पात्रों की
हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथो वाल्मीकि रामायण, महाभारत आदि में कई ऐसे पात्रों का वर्णन है जिनका जन्म बिना माँ के
हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथो वाल्मीकि रामायण, महाभारत आदि में कई ऐसे पात्रों का वर्णन है जिनका जन्म बिना माँ के
।। ।। जो व्यक्ति इसका पाठ निरंतर करता है। शनिदेव उससे प्रसन्न रहते हैं। उसे अकाल मृत्यु तथा हत्या का
तमिल शब्द सेंगोल का अर्थ ‘न्याय’ होता है :- सेंगोल का जिक्र महाभारत और रामायण जैसे ग्रन्थों में भी मिलता
।। ।। वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम्।रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्।। भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम्।सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम्।।१।। सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो
उलटा नाम जपत जग जाना।वाल्मीकि भये ब्रह्म समाना।।दोस्तों! तुलसी दास जी लिखते हैँ राम चरित मानस मे कि वाल्मीकि जी
हम प्रतिदिन भगवान की पूजा करते है,लेकिन उस पूजा में हम भगवान से सांसारिक सुखों को भोगने की ही प्रार्थना
।। ।। धनदा उवाचदेवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम्।कृपया पार्वती प्राह शंकरं करुणाकरम्।।१।। देव्युवाचब्रूहि वल्लभ साधूनां दरिद्राणां कुटुम्बिनाम्।दरिद्र दलनोपायमंजसैव धनप्रदम्।।२।। शिव
महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र भगवान शिव की प्रसन्नता एवं धन वैभव प्राप्ति के लिए यह अचूक उपाय है।
ॐ नमो भगवते सदाशिवाय।सकलतत्त्वात्मकायसर्वमन्त्रस्वरूपायसर्वयन्त्राधिष्ठितायसर्वतन्त्रस्वरूपायसर्वतत्त्वविदूराय ब्रह्मरुद्रावतारिणेनीलकण्ठाय पार्वतीप्रियायसोमसूर्याग्निलोचनायभस्मोद्धूलितविग्रहायमहामणिमुकुटधारणायमाणिक्यभूषणायसृष्टिस्थितिप्रलयकालरौद्रावतारायदक्षाध्वरध्वंसकायमहाकालभेदकायमूलाधारैकनिलयायतत्त्वातीताय गङ्गाधरायसर्वदेवाधिदेवाय षडाश्रयायवेदान्तसारायत्रिवर्गसाधनायानेककोटिब्रह्माण्डनायकायानन्त-वासुकितक्षककर्कोटकशङ्खकुलिकपद्ममहा-पद्मेत्यष्टनागकुलभूषणाय प्रणवस्वरूपायचिदाकाशायाकाशादिस्वरूपाय ग्रहनक्षत्रमालिनेसकलाय कलङ्करहितायसकललोकैककर्त्रेसकललोकैकसंहर्त्रेसकललोकैकभर्त्रेसकललोकैकसाक्षिणेसकलनिगमेड्यायसकलवेदान्तपारगायसकललोकैकवरप्रदायसकललोकैकशङ्करायशशाङ्कशेखरायशाश्वतनिजावासायनिराभासाय निरामयायनिर्मलाय निर्लोभाय निर्मोहायनिर्मदाय निश्चिन्तायनिरहङ्काराय निराकुलायनिष्कलङ्काय निर्गुणायनिष्कामाय निरूपप्लवायनिरवद्याय निरन्तरायनिष्कारणाय निरातङ्कायनिष्प्रपञ्चाय
हिन्दू धर्म शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी एवं मतान्तर से श्रावण माह में पूर्णिमा के दिन भी विविध