स्वभाव बदलो
[4] स्वभाव बदलो संत अबू हसनके पास एक व्यक्ति आया और बोला- ‘महाराज, मैं गृहस्थीके झंझटोंसे परेशान हो उठा हूँ।
[4] स्वभाव बदलो संत अबू हसनके पास एक व्यक्ति आया और बोला- ‘महाराज, मैं गृहस्थीके झंझटोंसे परेशान हो उठा हूँ।
(4) सत्यके विविध आयाम आश्रमके तीन झेन-साधक बाहर टहल रहे थे, हवा तेज थी और आश्रमकी ध्वजा तेजीसे फड़फड़ा रही
एक भंगिन शौचालय स्वच्छ करके जब चलने लगी तब किसी भले आदमीने कुतूहलवश पूछा—’तुम्हें यह काम करनेमें घृणा नहीं लगती
इजरायलके इतिहासमें बादशाह सुलेमानका नाम अमर है। वह बड़ा न्यायी और उदार था। उसके राज्यमें प्रजा बहुत सुखी थी। एक
एक बार गांधीजीके यहाँ, जब कि वे आठ वर्षके थे, कोई उत्सव था। उस दिन भोजनके लिये कई लोग आमन्त्रित
रामदुलाल सरकार कलकत्ता हटखोलाके दत्तबाबुओंके यहाँ नौकरी करते। वेतन था पाँच रुपये मासिक । वे अपने मालिकोंके बड़े कृपापात्र थे।
उपहासका फल रुक्मीका भगवान् श्रीकृष्णके साथ पुराना वैर था। फिर भी अपनी बहन रुक्मिणीको प्रसन्न करनेके लिये उसने अपनी पौत्री
लेखककी जिन्दगी लंदनमें एक निर्धन बालक रहता था। उसे पेट भरनेके लिये कई तरहके काम करने पड़ते थे। इसलिये वह
एक घुड़सवार कहीं जा रहा था। उसके हाथसे चाबुक गिर पड़ा। उसके साथ उस समय बहुत से मुसाफिर पैदल चल
कुछ समय पूर्व बलरामपुरमें झारखंडी नामक शिवमन्दिरके निकट बाबा जानकीदासजी रहते थे। वैराग्य एवं सदाचारमय जीवन ही उनका आदर्श था।