गोपेश्वर महादेव
एक बार शरद पूर्णिमा की शरत-उज्ज्वल चाँदनी में वंशीवट यमुना के किनारे श्याम सुंदर साक्षात मन्मथनाथ की वंशी बज उठी।
एक बार शरद पूर्णिमा की शरत-उज्ज्वल चाँदनी में वंशीवट यमुना के किनारे श्याम सुंदर साक्षात मन्मथनाथ की वंशी बज उठी।
ऐसा पढ़ने में आता है कि महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ पर बैठे हनुमानजी कभी-कभी खड़े हो कर
श्री राधारमण जी का 481 प्राकट्य उत्सव दिवस श्री गोपाल भट्ट श्री चैतन्य महाप्रभु जी के बड़े कृपापात्र थे ।
बात बहुत पुरानी नहीं है- वृन्दावन में गोस्वामी बिंदुजी महाराज नाम के एक भक्त रहते थे। वे काव्य रचना में
।। नमो आञ्जनेयम् ।। हनुमानजी द्वारा चारों युगों के धर्मों का वर्णन के बारे में महाभारत वनपर्व के ‘तीर्थयात्रापर्व’ के
|| संशय निवारण || निज जननी के एक कुमारा –*मानस का प्रसंग -मानस प्रेमीॐ हिरण्यगर्भ:समवत्तरताग्रे,भूतस्य जातः पतिरेक आसीत् ।। सदाचार
व्रजभूमि में जन्म लेने वाले जीवों में से, चाहे वे गोप गोपियों के रूप में हों अथवा जड़ चेतन पशु
सरयू जल साक्षात परम ब्रह्म है जो मोक्ष प्रदान करता है।रामजी के बालरूप के लिए धरती पर अवतरित हुई सरयू
हिरण्यकश्यपों के घर में भी,भक्त प्रह्लाद जन्म ले आते हैं.. निर्जीव स्तंभों के भीतर भी,जब भगवान प्रकट हो जाते हैं..
उद्धवजी को समझ नहीं आ रहा था कि व्रज को याद करते ही प्रभुकी आँखे क्यों बह निकलती है।जीव जब