अटल मृत्युसे भय कैसा !!
अटल मृत्युसे भय कैसा !! एक छोटा-सा गाँव था। उसमें एक ब्राह्मण कुटुम्ब रहता था। ब्राह्मण अत्यन्त दरिद्र था। दिनभर
अटल मृत्युसे भय कैसा !! एक छोटा-सा गाँव था। उसमें एक ब्राह्मण कुटुम्ब रहता था। ब्राह्मण अत्यन्त दरिद्र था। दिनभर
प्रार्थना ‘आत्माका भोजन’ प्रार्थना-सभाके बाद एक वकीलने महात्मा गाँधीसे ‘आप प्रार्थनामें जितना समय व्यतीत करते हैं, पूछा, अगर उतना ही
द्रोणाचार्य पाण्डव एवं कौरव राजकुमारोंको अस्त्र शिक्षा दे रहे थे। बीच-बीचमें आचार्य अपने शिष्योंके हस्तलाघव, लक्ष्यवेध, शस्त्र – चालनकी परीक्षा
प्राचीन अरबनिवासियोंमें हातिम ताईका नाम अत्यन्त प्रसिद्ध है। वह अपनी अमित दातृत्व-शक्ति किंवा सतत दानशीलताके लिये बड़ा विख्यात था। एक
दिल्लीमें अनेक प्रसिद्ध लाला हुए; परंतु जो लालाई लाला महेशदासको नसीब हुई, उसका शतांश भी और किसीके हिस्सेमें नहीं आया।
पहले गौडदेशमें वीरभद्र नामका एक अत्यन्त प्रसिद्ध राजा राज्य करता था। वह बड़ा प्रतापी, विद्वान् तथा धर्मात्मा था। उसकी पत्नीका
(4) अनन्त इच्छाएँ ही ईशकृपामें बाधक एक फकीरके पास एक नौजवान शागिर्द (शिष्य) बननेके ख्यालसे उपस्थित हुआ। फकीर उसके साथ
तत्रैव गङ्गा यमुना च तत्र गोदावरी सिन्धुसरस्वती च । नद्यः समस्ता अप देवखातानमन्तियत्राच्युतसत्कथापराः॥ न कर्मलोपो न च बन्धलेशो न दुःखलेशो
महापुरुषोंके प्रति अपराधसे अमंगल ही होता है वृकासुर शकुनिका पुत्र था। उसकी बुद्धि बहुत बिगड़ी हुई थी। एक दिन कहीं
ऋग्वेद हमें यह शिक्षा देता है कि दूसरोंको श्रद्धापूर्वक देकर अवशिष्ट भागको स्वयं ग्रहण करना चाहिये। ऐसा कभी न करे