जन्म हुआ है मृत्यु निश्चित है


“जिसका भी संसार में जन्म हुआ है, उसे एक न एक दिन मरना अवश्य ही है।” यह तो संसार का सामान्य नियम है। इस नियम के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मर जाता है, तो यह कोई बड़ी बात नहीं है। लाखों-करोड़ों जीव-जंतु कीड़े मकोड़े कुत्ते गधे पशु पक्षी वृक्ष आदि रोज पैदा होते हैं, और रोज़ ही मरते हैं।
परंतु यदि किसी व्यक्ति के मरने पर संसार के लोग शोक मनाते हैं। ऐसा अनुभव करते हैं, कि “ओहो, यह तो अच्छा नहीं हुआ। वह व्यक्ति बहुत उत्तम था। संसार के लिए बहुत हितकारी था। दूसरों का बहुत उपकार करता था, लोगों को बहुत सुख देता था। उसके चले जाने से संसार को बहुत हानि हुई।” यदि लोग इस प्रकार का अनुभव करते हैं, तो समझना चाहिए, कि उस व्यक्ति का जीवन सफल हुआ। उसने अपने जीवन को सार्थक बनाया।
परंतु यदि लोग ऐसा अनुभव नहीं करते। और ऐसा अनुभव करते हैं, कि “चलो, अच्छा हुआ मर गया। उससे जान छूटी। उसके अत्याचारों से संसार के लोग बहुत दुखी थे। अब लोगों को उससे राहत मिलेगी।” यदि संसार के लोगों की प्रतिक्रिया इस प्रकार की हो, तो ऐसा समझना चाहिए, कि “उस व्यक्ति का जीवन सफल नहीं हुआ, बल्कि व्यर्थ गया.”
ऐसी घटनाओं से शिक्षा लेकर सबको विचार करना चाहिए, कि “हम भी अच्छे काम करके अपना जीवन सफल बनाएं। संसार का उपकार करें। अपने आसपास के लोगों और प्राणियों की रक्षा करें, जिससे हमारे चले जाने पर संसार के लोग हमारे बारे में भी अच्छा अच्छा कहें।” ऐसा विचार चिंतन मनन तथा आचरण करना ही सुख दायक एवं जीवन की सफलता का प्रमाण है।

“(नोट — तत्त्वज्ञानी लोग किसी की भी मृत्यु पर शोक नहीं मनाते। अज्ञानी लोग शोक मनाते हैं। क्योंकि संसार में अज्ञानी लोग अधिक हैं, इसलिए यह परम्परा चलती है। फिर भी इस परम्परा से इतना तो पता चल ही जाता है, कि मरने वाले व्यक्ति का जीवन सफल हुआ, या व्यर्थ गया।)”

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