श्रीमद्भागवत गीता प्राकट्योत्सव

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🌟🔱 पर्व मंथन🔱🌟

आज श्रीमद्भागवत गीता प्राकट्योत्सव है। हिन्दू धर्म के सबसे श्रेष्ठ ग्रन्थ का जन्मोत्सव आज के दिन मनाया जाता है। भगवद्गीता का हिन्दू समाज में सबसे ऊँचा स्थान माना जाता हैं, इसे सबसे पवित्र ग्रन्थ 📕 माना जाता है। भगवद्गीता स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी। कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन अपने सगे-सम्बंधियों को शत्रुओं के रूप में सामने देख, विचलित हो जाता है तथा शस्त्र उठाने से मना कर देता है तब स्वयं भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को मनुष्य-धर्म एवम कर्म का उपदेश देते हैं, जिसमें मनुष्य जाति के सभी धर्मो एवम कर्मो का समावेश है।

*भगवद्गीता का जन्म भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से कुरुक्षेत्र के मैदान में हुआ था। कुरुक्षेत्र की भूमि श्रीमद्भागवतगीता की उत्पत्ति का स्थान है, कहा जाता है कि कलियुग में प्रारंभ के मात्र 30 वर्षों के पहले ही गीता का जन्म हुआ , जिसे जन्म स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने नंदी घोष रथ के सारथी के रूप में दिया था। श्रीमद्भागवत गीता का जन्म आज से लगभग 5141 वर्ष पूर्व हुआ था। गीता केवल हिन्दू सभ्यता को ही मार्गदर्शन नहीं देती अपितु यह जातिवाद से कहीं ऊपर उठ कर मानवता का ज्ञान देती है। गीता के अठारह अध्यायो में मनुष्य के सभी धर्म एवम कर्म का विवरण मिलता है। इसमें सतयुग से कलियुग तक मनुष्य के कर्म एवम धर्म का ज्ञान है। गीता के श्लोको में मनुष्य जाति का आधार छिपा है। मनुष्य के लिए क्या कर्म हैं उसका क्या धर्म है, इसका विस्तार स्वयं श्रीकृष्ण ने अपने श्रीमुख से कुरुक्षेत्र की उस धरती पर किया था। उसी ज्ञान को गीता के पृष्ठों में लिखा गया है। यह सबसे पवित्र तथा मानव जाति का उद्धार करने वाला ग्रन्थ है। *कम से कम आज के दिन गीता का पाठ अवश्य करें। आप सभी को परिवार सहित श्रीमद्भागवत गीता के प्राकट्य उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं!!..प्रसन्न रहें!! एक बार प्रेम से अवश्य कहें/लिखें, जय जय श्रीराधेकृष्णा, जय जय सियाराम*!!! *ईश्वर सदैव हमारे संग हैं* आपका दिन मंगलमय हो

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