जय श्री राम परम पिता परमात्मा को प्रणाम है मेरा नाम अनीता गर्ग हैं। मेरा बचपन से ही भगवान राम में भाव रहा है। जब मैं छोटी थी तब सामने हनुमान जी का रूप मेरे घर में लगा हुआ हनुमान जी के दिल में भगवान राम दिखाए है हनुमानजी पर्वत को धारण किए हुए हैं मै हनुमानजी महाराज को घण्टो निहारती और मन ही मन प्रार्थना करती हे हनुमानजी महाराज क्या कभी मेरे दिल में भी भगवान दिखाई देंगे। बस दिन भर मन ही मन भगवान को जो शब्दावली बनती उन्हीं से स्तुति करती रहती बस दिल में एक ही तङफ रहती भगवान से कैसे मिलन हो ये सब मैंने जो भी शब्द रूप दिया है तब मुझे कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ मै लिख रही हूँ मुझे लगता भगवान लिख रहे हैं मै भगवान के भाव में खो जाती हूं ये सब भोजन बनाते हुए चलते हुए घर के कार्य करते हुए के भाव है। मुझे जो भी दृष्टान्त हुआ है वह कार्य करते हुए हुआ है। Bhagvanbhakti. Com में भगवान की विनती स्तुति नीज के भाव है इसमे इस भाव को प्रदर्शित किया गया कि आप भगवान के साथ अन्तर्मन से जुड़ कर जिस भाव में भगवान को नमन करोगे वह आपकी भगवान से प्रार्थना है। भगवान को हम अनेक नियमों के भीतर भजते हैं वह पुजा हैं भक्त भगवान से हर क्षण जुंङा हुआ है भगवान के नाम को भजते रहे ।जब भी मन करे एक बार दो भगवान का नाम ले जय श्री राम फिर कुछ समय बाद फिर जय श्री राम ऐसे दिन भर मन ही मन भगवान को याद करते रहे। अध्यात्मवाद भक्ति भाव समर्पण भाव, त्याग, भक्त की भगवान से मिलन की तङफ,तङफ में भगवान की पुकार प्रेम भाव के मार्ग को दर्शाता है। जैसा मैने भगवान को भजते हुए मुझे ज्ञान हुआ वैसे ही भाव है। कण-कण में भगवान स्पर्श मे भगवान ये शब्द नहीं हैं ये भाव है जिन्हें भजते भगवान को महसूस कर के शब्द रूप दिया गया है ये सब एक एक अक्षर जो भी लिखा है ये सब भाव मेरे जीवन का हिस्सा है। मेरे पास ग्रथों का ज्ञान नहीं है जय श्री राम