
प्रेम-साधना- परमात्मा की प्राप्ति का साधन ।।
परिश्रम के पश्चात विश्राम, क्षुधा के पश्चात भोजन और कष्ट के पश्चात सुख का आनन्द मिलता है- इसी प्रकार

परिश्रम के पश्चात विश्राम, क्षुधा के पश्चात भोजन और कष्ट के पश्चात सुख का आनन्द मिलता है- इसी प्रकार

भक्त की एक ही अभिलाषा होती है प्रभु भगवान के दर्शन कैसे हो प्रभु से मिलन हो तभी हृदय

एक बार एक राजा ने अपने दरबारी मंत्रियों से पूछा, प्रजा के सारे काम मे करता हूँ, उनको अन्न

भरत जी का कितना अथाह प्रेम था जिसको शब्दों में परिणत करना असंभव सा है । दासत्व भाव में








































