
भगवान का काम
एक बार एक राजा ने अपने दरबारी मंत्रियों से पूछा, प्रजा के सारे काम मे करता हूँ, उनको अन्न

एक बार एक राजा ने अपने दरबारी मंत्रियों से पूछा, प्रजा के सारे काम मे करता हूँ, उनको अन्न

भरत जी का कितना अथाह प्रेम था जिसको शब्दों में परिणत करना असंभव सा है । दासत्व भाव में
एक भक्त अंतर्मन से भाव में है अन्तर्मन से भगवान का सतसंग चल रहा है भक्त भाव मे गहरा

तुम सों को प्रियतम या जग में।तुम प्रान बने उर में मोरे तुम रुधिर दास के रग रग में।।तुम्हरी








































