परमात्मा की विनती
भक्त परमात्मा को अनेकों भावों से मनाता हैं। परमात्मा की विनती करते हुए कहता हैं कि हे परमात्मा तुम मेरे
भक्त परमात्मा को अनेकों भावों से मनाता हैं। परमात्मा की विनती करते हुए कहता हैं कि हे परमात्मा तुम मेरे
गीता
प्रार्थना
गीता हृदय भगवान का,सब ज्ञान का शुभ सार है।इस शुद्ध गीता ज्ञानसे ही चल रहा संसार है।। गीता परम विद्या
हम प्रार्थना देश और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए करे प्रार्थना देश के प्रधान के लिए करे। हे ईश्वर देश
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता।। पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम
।। प्रार्थना ।। प्रातः काल आँख खुलने पर कर दर्शन करते हुए भगवान की प्रार्थना करना चाहिए- कराग्रे वसते लक्ष्मी,
आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि ।यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे ।। सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि ।पुत्रां
मामवलोकय पंकज लोचन।कृपा बिलोकनि सोच बिमोचन।।नील तामरस स्याम काम अरि।हृदय कंज मकरंद मधुप हरि।। जातुधान बरुथ बल भंजन।मुनि सज्जन रंजन
ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः।कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः।। ॐ नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः।नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो
गाइये गनपति जगजगबंदन।संकर-सुवन भवानी-नंदन।।१।। सिद्धि-सदन, गज-बदन, बिनायक।कृपा-सिंधु, सुन्दर, सब लायक।।२।। मोदक-प्रिय, मुद-मंगल-दाता।बिद्या-बारिधि, बुद्धि-बिधाता।।३।। माँगत तुलसिदास कर जोरे।बसहिं रामसिय मानस मोरे।।४।।(गोस्वामी
जय लक्ष्मी-सन्तोषी शुक्र मंत्र: हिमकुंद मृणालाभं दैत्याना परमं गुरूम्।सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।।ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:सर्व मंगल मांगल्ये