अध्यात्मवाद (Adhyatmvad)

अजन्म सदा जहाँ जन्मलियो,

अजन्म सदा जहाँ जन्मलियो,भवसिन्धु परे नहीं जीव बिचारो।चोर बनो जग को रचतावन,रक्षक हूँ जु सँहारन हारो॥निसकर्म सुनों श्रुति सो जिहि

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परमात्मा जगत गुरु

श्रीकृष्णं वन्दे जगत गुरु परमात्मा का अर्थ है आप भगवान राम मे भगवान कृष्ण मे अन्य देवता मे जिसमें भी

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प्राण जीवन शक्ति

प्राण का शाब्दिक अर्थ है “जीवन शक्ति। ” यह वह ऊर्जा है जिसकी हमें सांस लेने, बात करने, चलने, सोचने,

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गीत का गान हो तुम

गीत का गान हो तुम, खिले हुए फुल हो तुम। प्रत्येक मनुष्य एक गीत लेकर पैदा होता है और बहुत

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खोज अंतर्मन में

हृदय से ढूंढने पर ही परमात्मा मिलेंगे। संत महात्मा हमें मार्ग दिखा देंगे, पर लगन का दीपक हमें अपने आप

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