
राम चालीसा
ब्रह्मादिक तव पारन पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥ गुण गावत शारद
ब्रह्मादिक तव पारन पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥ गुण गावत शारद
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय । कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥ ।।चौपाई।। नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥शशि ललाट मुख महाविशाला।
जयश्रीराम श्री गुरु चरण सरोजनिज मन मुकुरू सुधारिबरनाऊ रघुवर बिमल यशजो दायक फल चारिबुद्धिहीन तनु जानिकेसुमिरो पवन कुमारबल बुद्धि विद्या