अनीता गर्ग (Anita Garg)

निष्काम कर्मयोग

मनुष्य शरीर कर्म करने के लिए बना है। कर्म की हम कितनी बाते करे कर्म को शुद्ध रूप से किये

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     मृत्यु सत्य है

मृत्यु  यात्रा है आत्मा चोले का नव निर्माण करती है।आत्मा के लिए शरीर का बदलाव वस्त्र बदलने के समान है।

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कर्म ज्योत जलाओ

मनुष्य शरीर कर्म करने के लिए बना है। कर्म की हम कितनी बाते करे कर्म को शुद्ध रूप से किये

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कर्म बीज

राधे राधे      यह हमारा शरीर ही क्षेत्र है | इस खेत में कर्मरूप जैसा बीज बोया जायगा वैसा ही

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कर्ता गिर जाता है

मृत्यु  यात्रा है आत्मा चोले का नव निर्माण करती है। मृत्यु वैराग्य और अध्यात्मिकता को प्रकट करती है जीवन आनंद

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भगवान से प्रार्थना

हम मन्दिर में भगवान् से प्रार्थना करने आते हैं। हमारी आन्तरिक प्रार्थना होती है कि हे प्रभु प्राण नाथ स्वामी

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परमात्मा का स्वरूप

परब्रह्म परमात्मा को हम सर्वशक्तिमान सर्व गुण समपन अनादि सत्य स्वरूप माने परमात्मा सृष्टि का रचियता पालन हार और संहारक

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