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परमात्मा से मिलन मनुष्य-जन्म में संभव
परमात्मा से मिलन मनुष्य-जन्म में ही संभव है परमात्मा ने सिर्फ इन्सान को ही यह हक़ दिया है यह मनुष्य-शरीर
परमात्मा से मिलन मनुष्य-जन्म में ही संभव है परमात्मा ने सिर्फ इन्सान को ही यह हक़ दिया है यह मनुष्य-शरीर
मिलन की तङफ के बैगर आंसू छलकते नहीं। हर क्षण प्रभु मे खोना होता है। जितने भगवान पास में होंगे
हृदय से ढूंढने पर ही परमात्मा मिलेंगे। संत महात्मा हमें मार्ग दिखा देंगे, पर लगन का दीपक हमें अपने आप
बहुत देखा। खूब देखा। जितना देख सकती थी उतना मैंने बांके बिहारी को देखा। पर तू ही बता ऐ सखी
हे परमात्मा राम मै आपकी वन्दना करती हूं एक भक्त परमात्मा राम के भाव मे कैसे वन्दना करता है हे
एक दीपक प्रज्वलित करके भगवान् को अन्तर मन से धन्यवाद करे कि हे भगवान् तुमने मुझे बना कर पृथ्वी पर
आत्मविश्वास जितना दृढ होगा उतना ही आपके शब्द आपके भीतर से निकले हुए होंगे। हम सैदव याद रखे यह मनुष्य
आत्म चिन्तन का अर्थ है हम अपने आप के नजदीक है हम जीवन में यह जान जाये मुझे परमात्मा ने
भक्त परमात्मा को अनेकों भावों से मनाता हैं। परमात्मा की विनती करते हुए कहता हैं कि हे परमात्मा तुम मेरे
राम राज्य का अर्थ है। आत्मविश्वास हमारे जीवन को महकाता है हमारे मन में पवित्रता हो हमरे तन मन धन