विविध भजन (Vividh Bhajan)

प्रेम जब अनंत हो गया,

प्रेम जब अनंत हो गया,रोम रोम संत हो गया,प्रेम जब अनंत हो गया,रोम रोम संत हो गया,देवालय बन गया बदन,संत

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तुम मुझमें प्रिय

तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्यातारक में छवि, प्राणों में स्मृति,पलकों में नीरव पद की गति,लघु उर में पुलकों की

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भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष

मस्तक ऊँचा हुआ मही का,धन्य हिमालय का उत्कर्ष।हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा,भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष॥ हरा-भरा यह देश बना करविधि ने रवि का

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जय हो सीता माता

ब्रह्मा विष्णु करें आरती, शंकर गाएं गाथासुर रक्षिणी असुर भक्षणी,जय हो सीता माता आदि अनादि जगदंबा तुम, अखिल विश्व की

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