तीनों लोक नौ खंड में सतगुरु
करता करे न कर सके, सतगुरु करे सो होय, तीनों लोक, नौ खंड में सतगुरु से बड़ा न कोय। सतगुरु
करता करे न कर सके, सतगुरु करे सो होय, तीनों लोक, नौ खंड में सतगुरु से बड़ा न कोय। सतगुरु
Beautiful poem on 7 chakras written by some divine soul सात मंजिला देह मिली है,सात चक्रों से सजा मकान ।क्यों
श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरि हरि।। भज मन नारायण नारायण हरि हरि।जय जय नारायण
अध्याय १मोह ही सारे तनाव व विषादों का कारण होता है । अध्याय २शरीर नहीं आत्मा को मैं समझो और
सनक सनंदन सनातन, चौथे सनत्कुमार। ब्रह्मचर्य धारण किया, हुआ प्रथम अवतार ।। वाराहरूप धरके प्रभु, हिरण्याक्ष को मार। पृथ्वी लाये
इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले। गोविन्द नाम लेकर मेरे प्राण तन से निकले। श्री गंगा जी
गुरुअवतरण दिवस पर देखो, महक उठा संसार।गुरुवर वंदन करतें जाना, दूर हटे अँधकार।। भगवत भगवन मंत्र बताए, करना प्रतिदिन जाप।जीवात्मा
मुंशी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता, जिसके एक-एक शब्द को बार-बार पढ़ने को मन करता है- ख्वाहिश नहीं मुझेमशहूर
जपने वाले को ही मिलता भगवान हैं नाम जप का सुखद होता परिणाम है नाम जपना नहीं इतना आसान हैगुरु
हटे वह सामनेसे, तब कहीं मैं अन्य कुछ देखूँ।सदा रहता बसा मनमें तो कैसे अन्यको लेखूँ ? उसीसे बोलनेसे ही