
परमात्मा की कृपा दृष्टि
हम कितनी ही साधना करे, परमात्मा का चिन्तन मनन नाम जप करे। प्रभु कि कृपा के बैगर हम ठूठ
हम कितनी ही साधना करे, परमात्मा का चिन्तन मनन नाम जप करे। प्रभु कि कृपा के बैगर हम ठूठ
सृष्टि के विराट चक्र में युगों की यात्रा अब अपने अंतिमपड़ाव की ओर बढ़ रही है। सतयुग की निर्मलता,त्रेतायुगकी
जो निरन्तर जिस बात का चिन्तन करेगा, उसको उसकी स्मृति अन्तकाल में होगी ही, यह नियम है। जो भगवान्
राम राज बैठें त्रैलोका।हरषित भए गए सब सोका॥बयरु न कर काहू सन कोई।राम प्रताप बिषमता खोई॥ भावार्थ:-श्री रामचंद्रजी के