खुल गए सारे ताले
कभी नर सिंह बन कर, पेट हिरणाकुश को फाड़े,कभी अवतार लेकर, राम का रावण को संहारे कभी श्री श्याम
कभी नर सिंह बन कर, पेट हिरणाकुश को फाड़े,कभी अवतार लेकर, राम का रावण को संहारे कभी श्री श्याम
भक्तों के मन में एक जिज्ञासा रहती है कि हमारे रामजी बारह कला संपन्न हैं और श्रीकृष्ण सोलह (पूर्ण)
मन, एक ऐसा सागर है जिसकी गहराईयां कभी नहीं नापी जा सकतीं। यह एक ऐसा आकाश है जिसकी ऊंचाइयाँ
राधे जू की चरित्र का वर्णन करने का सामर्थ्य ना तो ब्रह्मा जी में है,और ना ही श्री शारदा