
मन मन्दिर में जोत जगालो मईया जी के नाम की
1. मन मन्दिर में जोत जगालो मईया जी के नाम कीब्रह्मा विष्णु शंकर गाये, महिमा जिसके धाम की, सूरज जैसा
1. मन मन्दिर में जोत जगालो मईया जी के नाम कीब्रह्मा विष्णु शंकर गाये, महिमा जिसके धाम की, सूरज जैसा
जगदम्बे भवानी माँ दुर्गे, भगतों पे तू ही दया करना, हम तेरी शरण में आए हैं, हमे भव से पार
तेरी अंखिया हैं जादू भरी,बिहारी मैं तो कब से खड़ी ॥ सुनलो मेरे श्याम सलोना,तुमने ही मुझ पर,कर दिया टोना,मेरी
तुम मुझमें प्रिय! फिर परिचय क्यातारक में छवि, प्राणों में स्मृति,पलकों में नीरव पद की गति,लघु उर में पुलकों की
शिव में ध्यान लगाकर शिवमय हो जाऊँ महाकाल की भस्म बनूँ, ओंकार की गूँज हो जाऊँ, सोमनाथ के सागर जैसी,
ये राम का सेवक है ये राम दीवाना है प्रभु राम की महिमा को हनुमान ने जाना है,हर रोम मे
बसौ मेरे नैनन में नंदलाल।मोहनी मूरत सांवरी सूरत, नैना बने बिसाल।मोर मुकुट मकराकृति कुंडल, अरुण तिलक शोभे भाल।*अधर सुधारस मुरली
भवभीति की रीति हरौ रघुवर हिरदय में आइ के वास करौ।पद प्रीति की होय प्रतीति मोहे मम नैनन आइ निवास
अगर हम विष्णुपुराण वर्णित लघुविष्णुसहस्रनाम का ही पाठ करें तो निश्चित ही विष्णु सहस्रनाम का फल मिल जाता है। अलं
सखियों मिल मंगल गावे यशोदा जायो लाल निआओ नि सखियाँ मिल खुशिया मनावे नन्द के घर आया लाल नि, सुंदर