बाबा की ज्योति है जब है जगाई मुझको लगा है की मैं शिरडी में आई,
जब भी किसी ने कहा ॐ साई मुझको लगा के मैं शिरडी में आई,
सुख भी उसी के दुःख भी उसी के कट ते ही रहते है पल भी उसकी के,
पर जब भी ख़ुशी कोई पाई मुझको लगा के मैं शिरडी में आई,
बाबा की ज्योति है जब है जगाई मुझको लगा है की मैं शिरडी में आई,
तन्हा कभी न पाया है खुद को मन के झरोखे से देखा है उसको,
गर्दन जरा जब भी अपनी जुकाई मुझको लगा के मैं शिरडी में आई,
बाबा की ज्योति है जब है जगाई मुझको लगा है की मैं शिरडी में आई,
भक्तो ने जब भी भजन कोई गाया सच मुच् वही मैंने बाबा को पाया,
साहिल ने जैकार जब भी लगाई मुझको लगा के मैं शिरडी में आई,
बाबा की ज्योति है जब है जगाई मुझको लगा है की मैं शिरडी में आई,
Baba’s light is there when it is awakened, I have felt that I have come to Shirdi,
Whenever someone said Sai I felt that I had come to Shirdi,
Happiness is also his sorrows also remain at the same time as his cut, even the moment of his,
But whenever I found happiness, I felt that I had come to Shirdi,
Baba’s light is there when it is awakened, I have felt that I have come to Shirdi,
I have never found myself lonely, I have seen it through the window of my mind,
Whenever I felt my cold, I came to Shirdi.
Baba’s light is there when it is awakened, I have felt that I have come to Shirdi,
Whenever the devotees sang any hymn, the truth was exactly the same I found Baba,
Whenever Sahil applied Jakar, I felt that I had come to Shirdi,
Baba’s light is there when it is awakened, I have felt that I have come to Shirdi,