प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा .
अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा ..
जिसकी केवल कृपा दृष्टि से सकल विश्व को पलते देखा .
उसको गोकुल में माखन पर सौ सौ बार मचलते देखा ..
जिसके चरणकमल कमला के करतल से न निकलते देखा .
उसको ब्रज की कुंज गलिन में कंटक पथ पर चलते देखा ..
जिसका ध्यान विरंचि शंभु सनकादिक से न सम्भलते देखा .
उसको ग्वाल सखा मंडल में लेकर गेंद उछलते देखा ..
जिसकी वक्र भृकुटि के डर से सागर सप्त उछलते देखा .
उसको माँ यशोदा के भय से अश्रु बिंदु दृग ढ़लते देखा ..
Falling in love with the strong love, saw the Lord changing the rules.
Even if his honor is lost, the devotee has not seen his honor..
Whose only grace saw the whole world flourishing.
Saw him in Gokul stirring on butter a hundred times..
Whose lotus feet did not come out of Kamala’s feet.
Saw him walking on the path of Kantak in the Kunj of Braj.
Whose attention Viranchi Shambhu could not handle with Sanakadik.
Taking him to Gwal Sakha Mandal saw the ball bouncing..
Whose fear of curving eyebrows saw the ocean leaping.
He saw the teardrops disappearing from the fear of Mother Yashoda.