तेरी दुनिया में ये कैसा तमाशा हो रहा है माँ,
कोई हँसता है खुशियों में तो कोई रो रहा है माँ
क्यों फूलों संग लगे कांटे कोई चुभते कोई चुनते,
कोई किस्मत का मारा है जो जीवन किहौ रहा है माँ,
लाज कैसे बचें माँ बेटियों बहनों की अब जग में,
धरो फिर रूप काली का विधाता सो रहा है माँ,
तुम्ही हो आसरा हर एक कि उम्मीद तुम ही हो,
बुराई का यहाँ पर बीज कोई बो रहा है माँ,
करो संहार फिर असुरों का जो दिल में पनपते हैं,
तेरी भक्ति का कोई बोझ दिल में ढो रहा है माँ,
नहीं दरकार धन ‘वैभव’ की अब अवतार दिखलाओ,
रूहानी दौर के सपने कई संजो रहा है माँ,
लेखक- वैभव श्रीवास्तव, बहराइच, उत्तर प्रदेश
What kind of spectacle is happening in your world, mother,
Some laugh in happiness and some are crying mother
Why would the thorns attached to the flowers choose prickly?
There is someone who is hit by luck, who is living life, mother,
How to avoid shame in the world of mother daughters and sisters now,
Wait again, the creator of the form Kali is sleeping, mother,
You are the hope of everyone, you are the hope of everyone,
Somebody is sowing the seeds of evil here, Mother,
Then kill the demons who grow in the heart,
Mother is carrying some burden of your devotion in my heart.
Don’t need money, now show the avatar of ‘vaibhav’,
Mother is cherishing many dreams of the spiritual era,