मेरे सांवरे सलोने कन्हैया तेरा जलवा कहाँ पर नही है
तेरा जलवा कहाँ पर नही है, तेरा जलवा कहाँ पर नही है
कान वालो ने जाकर सुना है, आँख वालो ने जाकर के देखा ।
उनकी आँखो मे परदा पड़ा है जिस ने जलवा ये देखा नही है ॥
लोग पीते है पी पी के गिरते, हम पीते है गिरते नही है ।
हम तो पीते है सत्संग का प्याला ये अँगुरो की मदिरा नही है ॥
मन्दिर जाऊँ मैं सांझ सवेरे, अलख जगाऊ मैं नाम की तेरे ।
दुनिया वालो से अब क्या डरना, हम को दुनिया की परवाह नही है ॥
सुबह शाम है जिस ने पुकारा, तेरे नाम का लेकर सहारा ।
सच्चे भाव से जिसने पुकारा, तेरे आने मे देर नही है ॥
Kanhaiya, my beautiful son, where are you not?
Where is not your light, where is not your light
Those with ears have heard and gone, those with eyes have gone and seen.
There is a veil in his eyes, who has not seen this fire.
People drink and fall after drinking, we do not fall by drinking.
We drink the cup of satsang, it is not the wine of grapes.
I will go to the temple early in the evening, I will wake up the light of your name.
Now what to fear from the people of the world, we do not care about the world.
It is morning and evening, who called, with the help of your name.
The one who called with true spirit, it is not too late for you to come.