मैं उस दरबार का सेवक हु जिस दर की अमर कहानी है,
मैं गर्व से जग में केहता हु मेरा मालिक शीश का दानी है,
इनके दरबार के नोकर भी दुनिया में सेठ कहाते है,
जिनको है मिली सेवा इनकी वो किस्मत पे इतराते है,
जो श्याम की सेवा रोज करे,
वो रात दिवस फिर मौज करे जिन पर इनायत है बाबा की खुद खुशियाँ खोज करे,
मैं उस दरबार का सेवक हु जिस दर की अमर कहानी है,
जब भी कोई चीत्कार करे तो इनका सिंगासन हिलता है,
ये रोक नही पाता खुद को झट जा कर उस को मिलता है,
जो श्याम प्रभु से आस करे बाबा न उनको निरास करे,
उन्हें खुद ये राह दिखाता है जो आँख मूंद विस्वाश करे,
मैं उस दरबार का सेवक हु जिस दर की अमर कहानी है,
जिसने भी श्याम की चोकठ पर कर के माथा टेका है,
उस ने मुड कर के जीवन में वापिस न फिर कभी देखा है,
माधव जब श्याम सहारा है तो जीवन पे भव भारा है ,
जो हार गया इक बार याहा वो हारा नही दोबारा है,
मैं उस दरबार का सेवक हु जिस दर की अमर कहानी है,
I am the servant of that court, whose rate is the immortal story,
I proudly say in the world that my master is the benefactor of the head,
The servants of his court are also called Seth in the world.
Those who have got service, they celebrate their luck,
One who does Shyam’s service daily,
May those nights and days rejoice on those who have grace, find Baba’s own happiness,
I am the servant of that court, whose rate is the immortal story,
Whenever someone cries, their singing is shaken.
It can’t stop itself, it gets to him in a hurry.
Whoever hopes from Shyam Prabhu, Baba should not despise him,
He himself shows them the way, who believe blindly,
I am the servant of that court, whose rate is the immortal story,
Whoever has bowed his head on Shyam’s choker,
He turned and never looked back in his life.
When Madhav is Shyam Sahara, then life is heavy.
The one who lost once yaha he is not lost again,
I am the servant of that court, whose rate is the immortal story,