आज साडे वनेरे का बोले मेरे जोगी ने औना ता बोले
दिल विच मेरे जोगी वसदा
वेखा जिधर मेनू जोगी दिसदा,
मेरे रोम रोम विच जोगी वस् गया है
मेरे लू लू विच जोगी वस् गया है
ताहीयो हर सा उसदा ना बोले
हथ विचो डिग डिग जावे तकदी राह कद जोगी आवे
आज हवावा भी खुशियाँ मनाउंदिया ने
जिथो लंगा जोगी ओ हर राह बोले
आज साडे वनेरे का बोले मेरे जोगी ने औना ता बोले
रोट परशाद बना के रखया आसन बाबे दा लाके रखया
मेरे धरती ते पैर न लगदे ने नाले ढोल नगाड़े बजदे ने
मेनू चडेया मिल दा चाह भोले
आज साडे वनेरे का बोले मेरे जोगी ने औना ता बोले
पौनाहारी मेरे दिल दा जानी नाल राधे दे ओहदी सांझ पुरानी
ताहियो धीरज काका लिखदा ऐ जिहनू रूप जोगी दा दिसदा है
जिहदे बक्शे एब गुन्हा बोले
आज साडे वनेरे का बोले मेरे जोगी ने औना ता बोले
Today, our Vanere said my Jogi will come
My Jogi lives in my heart
Vekha Jidhar Menu Jogi Disda,
The Jogi has settled in my hair
The Jogi has settled in my loo
Tahiyo doesn’t say anything about it
Falling from his hands, he waits for the way when the Jogi comes
Today, the air is also celebrating
Wherever the Jogi is, he speaks every way
Today, our Vanere said my Jogi will come
I made bread offerings and kept the seat of Baba
My feet are not on the ground and the drums and bells are playing
I want to meet you, Bhole
Today, our Vanere said my Jogi will come
Paunahari my heart’s soul with Radhe’s evening old
Tahiyo Dheeraj Kaka writes who sees the form of Jogi
whose baxe ab gunha bole
Today, our Vanere said my Jogi has come