मेरे यार कन्हिया सुन मोहन ,
तेरा यार सुदामा आया है
महलो से बाहर आजा अब , तेरा यार मिलने आया है
मेरी नजर में यारी अपनी जैसे सुई धागा हे
बिन मतलब के साथी दोनों ऐसा अपना नाता है
तेरी याद सताये आ भी जा , तेरा यार सुदामा आया है
महलो से बाहर आ भी जा तेरा यार मिलने आया है
याद है मुझको तेरा कान्हा प्यार का सबक सिखाना
मेरी हर गलती को मोहन यू हँस कर भूल जाना
मेरा कोई यार नही जग में जेसा यार तू कान्हा मेरा हे
महलो से बाहर आ भी जा तेरा यार मिलने आया है
सुनकर के आवाज कन्हिया छोड़ सिंघासन दौड़े
सामने देखा मित्र सुदामा गले लगा कर रोये
रो रो के सुदामा ये बोले क्या याद मेरी तुम्हे आई नही
तेरा यार सुदामा केसा हे
कभी मुड़कर तुमने देखा नही
राही तेरी यादो में रोता है
मेरे यार कन्हिया ,,,,,
ARUN CHAUHAN ,RAHI ,
My friend Kanhiya Sun Mohan,
your friend sudama has come
Come out of the palace now, your friend has come to meet
In my eyes, a friend is like a needle thread.
Without meaning, both of them have such a relationship
Your memory has come to haunt you, your friend Sudama has come
Even after coming out of the palace, your friend has come to meet
Remember to teach me the lesson of your Kanha love
Mohan u forget my every mistake by laughing
I have no friend in the world like a friend, you are mine
Even after coming out of the palace, your friend has come to meet
Hearing the sound of Kanhiya, he ran to Singhasan.
Saw friend Sudama hugged and cried
Sudama said in tears, did you remember me?
how is your friend sudama
you never looked back
Rahi cries in your memories
My friend Kanhiya,,,
ARUN CHAUHAN ,RAHI ,