मोहन से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने ।
छलिया से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥
हर बात निराली है उसकी, कर बात में है इक टेडापन ।
टेड़े पर दिल क्यूँ आया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥
जितना दिल ने तुझे याद किया, उतना जग ने बदनाम किया ।
बदनामी का फल क्या पाया हैं, यह मैं जानू या वो जाने ॥
तेरे दिल ने दिल दीवाना किया, मुझे इस जग से बेगाना किया ।
मैंने क्या खोया क्या पाया हैं, यह मैं जानू या वो जाने ॥
मिलता भी है वो मिलता भी नहीं, नजरो से मेरी हटता भी नहीं ।
यह कैसा जादू चलाया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥स्वरश्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी महाराज
Why I have put my heart with Mohan, I know this or that.
Why have I put my heart with deceit, I know this or that.
Every thing is unique to him, there is a tenderness in his doing.
Why the heart has come to the fore, I know this or that.
The more the heart remembered you, the more the world defames you.
What is the fruit of slander, I know this or he knows.
Tere dil ne dil deewana kiya, made me out of this world.
What have I lost and what I have found, I know this or that.
Even if I get it, I don’t even get it, I don’t even move away from my eyes.
I know what kind of magic has been done by this or whether he knows Swarshree Gaurav Krishna Goswami Ji Maharaj