में दुखिया नीर बहाता, तू बैठा मौज उडाता
कुछ तो सोच विचार रहम कर,दीनानाथ कुहाता कुहाता
में दुखिया नीर बहाता…….
ध्रुव प्रहलाद सुदामा जैसी, धीर कहा से लाउ,
प्राणी हु कलिकाल का भगवन, हर पल धीर गवाउ
जैसा भी पर सेवक तेरा,काहे इसे लजाता लजाता
में दुखिया नीर बहाता…….
कश्ट अनेको सहता गया में,लेकर नाम तुम्हारा,
भूल गए क्यू नाथ पूछते,कभी तो हाल हमारा
दुखियो के हो,सखा टूट गया क्या मुज्झ से ही नाता ओ नाता’
में दुखिया नीर बहाता…….
आना हो तो आ बेदर्दी,,अब तो सहा न जाये,
तेरे रहते कस्ट सताए,कैसी साख निभाए,
फिर ना कहना, नहीं पुकारा,कैसे दर्द मिटाता ओ मिटाता
में दुखिया नीर बहाता…….
जो गति होगी नाथ सहूँगा,और भला क्या चारा
तेरे बस में हम,पर तुझ पर, चले ना जोर हमारा
नंदू सहले श्याम सुमरले,मनुवा धीर बंधाता बंधाता
में दुखिया नीर बहाता…….स्वरनंदू जी महाराज
I used to cry sad, you used to have fun sitting
Have some mercy, Dinanath Kuhata Kuhata
I shed sad neer…….
Dhruva Prahlad like Sudama, where do you bring your patience?
I am the God of Kalikal, I have to be patient every moment.
Whatever but your servant, why would it be ashamed
I shed sad neer…….
I have endured many hardships, but my name is yours,
Forgot why Nath asks, sometimes our condition
Be of sorrows, friendship is broken. Do you have a relationship like this with me?
I shed sad neer…….
If you want to come, come the cruelty, now do not bear it,
When you live in pain
Then say no, do not call, how do I erase the pain?
I shed sad neer…….
Whatever the speed will be, I will bear, and what good choice
We are in your bus, but on you, do not let our emphasis
Nandu Sahle Shyam Sumrale, Manuva Dheer Bandhata Bandhata
I shed sad neer…….Swarnandu ji Maharaj