कीर्तन का शोंक चढ़ा था बाबा आदत हो गई,
तेरे चरणों में सावरिया सिल्वर जुबली हो गई,
सुरवात याद जब है आती तो आंखे नम हो जाती,
तुम सामने बैठ के सुनते तुमसे ही लोह लग जाती,
फिर रोज रोज का आना हिदायत हो गई,
तेरे चरणों में सावरिया सिल्वर जुबली हो गई,
दिन में भजनो को लिख के हम मन मन ही दोहराये,
इंतज़ार करते थे कब रात हो मंदिर जाए,
वो पल पल श्याम धनि की इबादत हो गई,
तेरे चरणों में सावरिया सिल्वर जुबली हो गई,
बाबा परीतस्वारो में बाबा मैंने जो कुछ भी पाया,
वो सब तेरी किरपा ही तूने ही प्यार लुटाया,
पापु शर्मा को आप से उल्फत हो गई
तेरे चरणों में सावरिया सिल्वर जुबली हो गई,
Baba had become a habit of Kirtan.
Savaria silver jubilee has become at your feet,
When I remember the beginning, my eyes become moist.
If you sit in front of you and listen to you, you will get iron.
Then it was instructed to come every day,
Savaria silver jubilee has become at your feet,
By writing hymns during the day, we repeat it in our mind.
Used to wait when night would go to the temple,
That moment Shyam Dhani was worshipped,
Savaria silver jubilee has become at your feet,
Whatever I found Baba in Baba Paritswaro,
That’s all your splendour, you only spent your love,
Papu Sharma got mad at you
Savaria silver jubilee has become at your feet,