कोई साई कहे कोई मसीहा कहे कोई इनको राम बताता है,
कोई आल्हा का बंदा कहता कोई इसा जान शरण रहता कोई जग का नाथ बताता है,
जबसे पड़े शिरडी में बाबा के पवन पाँव,
बना धाम पवन शिरडी छोटा सा था जो गांव,
आता वही समाधी पे जिसको बाबा मेरा बुलाता है,
कोई आल्हा का बंदा कहता ….
ग्यारा वचन बाबा ने अपने सभी निभाए,
खली न लौटे कोई साई के दर जो आये,
सुख दुःख में साई साही करे जो मस्तक उधि रमता है,
कोई आल्हा का बंदा कहता ……….
हिन्दू या मुसलमा साई को सब है प्यारे,
सब फूल है भगियां के साई जिसके रखवाले,
सबका मालिक तो एक ही है सबको ये बात बताता है,
कोई आल्हा का बंदा कहता ….
Some say Sai, some say Messiah, some call him Ram,
Some say that the servant of Alha, some keep taking refuge in this life, some tell the Nath of the world,
Ever since the wind feet of Baba were lying in Shirdi,
Banana Dham Pawan Shirdi was a small village,
Come at the same samadhi whom Baba calls me,
Somebody says Alha ka Banda….
Baba kept all his words,
No one who came at the rate of Sai did not return empty-handed,
In happiness and sorrow, do Sai Sahi, who makes his head dry,
Somebody says Aalha ka Banda……….
All is dear to Hindu or Muslim Sai,
All flowers are sisters whose keepers,
Everyone’s master is the same, tells everyone this thing,
Somebody says Alha ka Banda….