मोर मुकुट को सज़ा कर सर पे श्याम आ गए,
कलयुग के अवतार श्याम जी सबको भा गये,
कृष्ण कन्हैया को अजरज में बर्बरीक ने था डाला,
एक बाण से पीपल के सारे पतों को भेदा,
कैसी लीला महिमा देखो बाबा दिखा गये,
मोर मुकुट को सज़ा कर सर पे श्याम आ गए
कृष्ण कन्हैया के चरणों में जब है शीश चढ़ाया,
मेरे खाटू राजन ने तब श्याम नाम है पाया,
देकर शीश का दान वो त्रिवउवन पे छा गये,
मोर मुकुट को सज़ा कर सर पे श्याम आ गए ,
पुष्प सुगंद से क्यों न मेहके,
बाबा का दरबार फूल और धी से होता है बाबा का शृंगार,
रंग बिरंगी फूलो से सब भूपी को भा गये,
मोर मुकुट को सज़ा कर सर पे श्याम आ गए
After adorning the peacock crown, shyam came on his head.
Shyam ji, the incarnation of Kali Yuga, was liked by all.
Barbarik had put Krishna Kanhaiya in Ajraj,
With one arrow pierced all the addresses of Peepal,
Look at the glory of Leela Baba was shown.
After decorating the peacock crown, he came to the head.
When the head is offered at the feet of Krishna Kanhaiya,
My Khatu Rajan then found the name Shyam,
By donating the head, he was covered on Trivauvan,
After adorning the peacock crown, Shyam came on his head.
Why don’t flowers smell with fragrance,
Baba’s court is adorned with flowers and ghee,
Everyone liked Bhupi with colorful flowers,
After decorating the peacock crown, he came to the head.