सुनले बाबा बात मेरी कानो में तेरे पड़ जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा थोड़ा सा बढ़ जाये,
श्याम प्रभु तेरे प्रेमियों का हम करते समान है,
पर विस्तार हो मंदिर का हम सब का ये अरमान है,
ऐसे हो दर्शन के हर एक प्रेमी खुश हो कर जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा थोड़ा सा बढ़ जाये,
तू भी देख सके हमको और हम भी तुझको देख सके,
इतना बड़ा हो मंद के हम झुक के माथा टेक सके,,
ले फटकारा मोर छड़ी का बात हमारी बन जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा थोड़ा सा बढ़ जाये,
आओ मिल कर कदम बढ़ाये ले जैकारा श्याम का,
राज जो इतना कर न सके तो प्रेमी किस काम का,
क्या कुछ ना हो सकता अगर ये प्रेमी ज़िद पर अड़ जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा….
Listen, Baba, let the words fall in your ears.
How will it be if your temple increases a little bit,
Shyam Prabhu is like your lovers we do,
But the expansion of the temple is the desire of all of us,
May every lover of darshan become happy like this,
How will it be if your temple increases a little bit,
You can also see us and we can also see you,
Be so small that we can bow down and bow our heads,
Let the talk of a peacock stick become ours,
How will it be if your temple increases a little bit,
Let’s move together and take Jakara Shyam’s,
Raj who can not do so much, then what is the use of a lover,
What can’t happen if this lover insists on stubbornness,
How will it be if the temple is yours….