ना नरसी सी भक्ति न सुदामा सा नाता,
पर दुखड़े मिटाने श्याम हर बार तू आता है,
ना नरसी सी भक्ति न सुदामा सा नाता,
ना मन में भाव जगा ना आँखों में वो नमी,
तू कैसे रीझे श्याम ये भूल गया प्रेमी,
दीप मन के जले न जले तेरी ज्योत जलता है,
पर दुखड़े मिटाने श्याम हर बार तू आता है,
ना नरसी सी भक्ति न सुदामा सा नाता,
वो कैसे प्रेमी थे भावो में जो बेह्ते थे,
अपने ठाकुर से जो मिलने को तड़पते थे,
आज माया में रम बैठा ये तुझको मनाता है,
पर दुखड़े मिटाने श्याम हर बार तू आता है,
ना नरसी सी भक्ति न सुदामा सा नाता,
ना आज कोई करमा तुझे भोग लगाए जो,
ना आज कोई मीरा तुझे तान सुनाये जो,
चेतन तो भी स्वार्थ से तेरे भजनो को जाता है,
पर दुखड़े मिटाने श्याम हर बार तू आता है,
ना नरसी सी भक्ति न सुदामा सा नाता,
Neither Narsi nor Bhakti nor Sudama’s relationship,
But every time you come to erase the sorrows,
Neither Narsi nor Bhakti nor Sudama’s relationship,
Neither the emotion in the mind nor that moisture in the eyes,
How did you rejhe Shyam forgot this lover,
Do not burn the lamp of the mind, your flame burns,
But every time you come to erase the sorrows,
Neither Narsi nor Bhakti nor Sudama’s relationship,
How were they lovers who were in love,
Those who yearned to meet their Thakur,
Today, sitting in Maya, it celebrates you,
But every time you come to erase the sorrows,
Neither Narsi nor Bhakti nor Sudama’s relationship,
Neither today any karma should offer you pleasure,
Today no Meera will tell you the tone,
Even the conscious goes to your hymns out of selfishness,
But every time you come to erase the sorrows,
Neither Narsi nor Bhakti nor Sudama’s relationship,