गुरु देव तुम्हारे चरणों में बैकुंठ का वास लगे मुझको,
अब तो तेरे ही रूप बस प्रभु का एहसास लगे मुझको,
गुरु देव तुम्हारे चरणों में बैकुंठ का वास लगे मुझको,
अमृत चरणों का देके मुझे पापे से पावन कर डाला,
मेरे सिर पे हाथ फिर करके मुझे अपने ही रंग में रंग ढ़ाला,
इस जीवन की बिलकुल ही नई जैसे शुरवात लगे मुझको,
गुरु देव तुम्हारे चरणों में बैकुंठ का वास लगे मुझको,
मैं किस पे भला अभिमान करू ये हार्ड मास्स की काया है,
सोना चाँदी हीरे मोती बस चार दिनों की माया है,
गुरु देव ने ऐसा ज्ञान दिया दुनिया बनवास लगे मुझको,
गुरु देव तुम्हारे चरणों में बैकुंठ का वास लगे मुझको,
मैंने नाम गुरु का लिख डाला हर सांस पे हर इक धड़कन पर,
केवल अधिकार गुरु का अब तो शर्मा के जीवन पर,
गुरु देव बिना कुछ बहता नहीं अब ऐसा आभस लगे मुझ को,
गुरु देव तुम्हारे चरणों में बैकुंठ का वास लगे मुझको,
Gurudev, I feel the abode of Baikunth at your feet,
Now I feel like only God in your form,
Gurudev, I feel the abode of Baikunth at your feet,
By giving me the feet of nectar, I have been purified from my sins,
Putting my hand on my head again, painted me in my own color,
I feel like a completely new beginning of this life,
Gurudev, I feel the abode of Baikunth at your feet,
Whom should I be proud of, this is the physique of hard mass,
Gold, silver, diamonds, pearls are just an illusion for four days,
Gurudev has given such knowledge that the world should be made to me,
Gurudev, I feel the abode of Baikunth at your feet,
I wrote the name of the guru, on every breath, on every single beat,
Now only the authority of the guru is on Sharma’s life,
Nothing flows without Guru Dev, now I feel like this,
Gurudev, I feel the abode of Baikunth at your feet,