बिगड़ी मेरी बना दो एह दुगरी वाले गुरु जी,
अपना मुझे बना लो एह दुगरी वाले गुरु जी,
दर्शन को मेरी अँखियाँ कब से तरस रही है,
सावन की जैसे झर झर अखियां बरस रही है,
दर पे मुझे भुला लो एह दुगरी वाले गुरु जी…..
आते है तेरे दर पे दुखियो के नर और नारी,
सुनते हो सबकी विनती शरण आये जो टिहरी,
मुझको दर्श दिखा दे एह दुगरी वाले गुरु जी
Make me spoiled, eh two-legged guru ji,
Make me your oh two-man guru ji,
Since when have my eyes been longing for darshan,
It is raining like the raindrops of Sawan,
Forget me at the rate, oh double guru ji…..
Men and women of sorrow come at your rate,
You hear the request of everyone who should come to Tehri,
Show me the vision, eh guru ji