संतों को परम् हंस

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हरि ॐ तत्सत

संतों को परम् हंस माना गया है।
क्योंकि
ये अपने शरीर को तपाकर इस संसार रूपी भवसागर को मथकर अमृत रूपी ज्ञान का सार निकालते हैं।
वो सार इनके सर से सरयू नदी बनकर बह निकलता है।
उसी की महिमा
सरस्वती
संतों की इस वाणी को हंस रूप बनाकर
इस पर सवार होती है।
फिर वो ज्ञान के एक एक मोती चुन चुन कर उसकी महिमा बखान करती है।
सरस्वती संत रूपी हंस पर ही विराजमान होती है।
संत ही इस देवी के वाहन है।
संतों की सहस्त्र धाराएं हैं।
लेकिन
एक ज्ञान की एक ही नारा जो गंगा की धारा है।
उसी धारा की एक बूंद जो स्वाति नक्षत्र की बूंद बन कर आकाश से गिरती है,
संत रूपी चकोर उसी बूंद का पान करते हैं।
इसलिए
संतों का चरित्र बिलकुल हंस की तरह उज्जवल पवित्र होता है।हंस शांति प्रिय होते हैं।
संत परम हंस होते हैं।
वो भी विषय वासनाओं से दूर परम आनंद रूप होते हैं।
वो चलते फिरते तीर्थ होते हैं।
संत रूपी हंस जहा भी बैठते हैं वहीं प्रयाग धाम बन जाता है।
इन्हीं की वाणी गंगा की वाणी होती है।
हंस ही एक ऐसा पक्षी है जो सागर की भी दूरी को पार कर जाते हैं।
संत रूपी परम् हंस
ही विषय वासनाओं से रहित होकर,इस संसार रूपी भवसागर को पार कर जाते हैं।और किसी में क्षमता नहीं भवसागर पार करने की
इनकी वाणी सुनकर ही काग भी हंस बन जाते हैं।

संतों की इस वाणी को हंस रूप बनाकर
इस पर सवार होती है।
फिर वो ज्ञान के एक एक मोती चुन चुन कर उसकी महिमा बखान करती है।
सरस्वती संत रूपी हंस पर ही विराजमान होती है।
संत ही इस देवी के वाहन है।
संतों की सहस्त्र धाराएं हैं।
लेकिन
ज्ञान गंगा की धारा,
उसी धारा की एक बूंद जो स्वाति नक्षत्र की बूंद बन कर आकाश से गिरती है,
संत रूपी चकोर



Hari Om Tatsat

The saints are considered to be the ultimate swan. Because They churn out the ocean of this world by heating their bodies and extract the essence of knowledge in the form of nectar. That essence flows out of their heads as Saryu river. the glory of Saraswati By making this voice of the saints as a swan rides on it. Then she chooses each pearl of knowledge and glorifies it. Saraswati sits on a swan in the form of a saint. The saint is the vehicle of this goddess. There are thousands of streams of saints. But One slogan of one knowledge which is the stream of Ganga. A drop of the same stream which falls from the sky as a drop of Swati Nakshatra, A saint-like chakor drinks the same drop. So The character of saints is as pure as that of a swan. Swans are peace-loving. Saints are the ultimate swans. They too are the ultimate form of bliss, away from subjective desires. They are pilgrimages on the go. Wherever the swans of a saint sit, Prayag becomes the dham. Their voice is the voice of Ganga. The swan is the only bird that crosses even the distance of the ocean. saint-like param swan Only subjects, being devoid of desires, cross the ocean of this world. And no one has the capacity to cross the ocean of the universe. Hearing his voice, even the cork becomes a swan.

By making this voice of the saints as a swan rides on it. Then she chooses each pearl of knowledge and glorifies it. Saraswati sits on a swan in the form of a saint. The saint is the vehicle of this goddess. There are thousands of streams of saints. But Stream of the Ganges of Gyan, A drop of the same stream which falls from the sky as a drop of Swati Nakshatra, Saint Roop Chakor

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