भगवान तुम दिल मे समा गए

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भगवान् देख मेरे पास तो एक ही दिल था वो मैंने तुम्हें दे दिया ।भगवान् मुझे भी दो तीन दिन से ऐसा लगता है कि जैसे भगवान तुम दिल में समा गए हो। फिर भी मैं परख करना चाहती हूं। हे परमात्मा जी तुम मेरे परमेशवर स्वामी भगवान् नाथ ही हो। मेरा दिल बार-बार यही कहता है। हे ईश्वर, हे मेरे स्वामी भगवान् नाथ, हे जगत पिता, हे प्रभु प्राण प्यारे मेरे दिल में निवास करने वाले प्रभु , हे जगत गुरु जगत के मालिक स्वामी भगवान् नाथ, हे दीनदयाल, हे दीनानाथ जो परम पिता परमात्मा सत्य का स्वरूप है। जो जन्म और मृत्यु से परे है और जो परमात्मा सब प्राणीयो में ज्योति रुप में निवास करता है। जिस परम पिता से मिलने के लिए मेरी आत्मा तङफ रही थी। क्या वही प्राण प्यारे स्वामी भगवान् नाथ इस कोठरी को पवित्र करने आये हैं। हे परमात्मा जी मुझको समझ नहीं आ रहा मै तुम्हे कैसे नमन और वन्दन करू। तुम्हें पुकारते पुकारते मैं तो एक ठुंठ बन गई हूँ। हे मेरे परमेशवर स्वामी भगवान् नाथ इसको तो आप अपने प्रेम भाव से अपनी भक्ति से इस ठुंठ को हरा भरा कर सकते हैं।
अनीता गर्ग



Seeing God, I had only one heart, that I gave it to you. Still I want to test. Oh God, you are my Supreme Lord, Lord Nath. This is what my heart says over and over again. O God, O my lord Bhagwan Nath, O world father, O Lord, dear soul, Lord who resides in my heart, O Jagat Guru Swami Bhagwan Nath, the master of the world, O Deendayal, O Dinanath who is the embodiment of the Supreme Father, the Supreme Soul, the Truth. The one who is beyond birth and death and who resides in the form of light in all beings. The Supreme Father whom my soul was longing to meet. Has the same soul beloved Swami Bhagwan Nath come to purify this cell? Oh God, I do not understand how I should bow down and worship you. While calling you out, I have become a stub. O my Supreme Lord Swami Bhagwan Nath, you can fill this stub green with your devotion with your love. Anita Garg

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