गोपियों की भगवान कृष्ण से प्रार्थना

IMG 20220613 WA0020

हे श्यामसुंदर ! हे गोपेश ! हम तुम्हारी अशुल्क दासी हैं। तुम्हारे बिना हमारा कोई मोल नही है , कोई अस्तित्व ही नही है। तुम्हारी याद के सहारे ये जीवन कट रहा है। नही नीरस ही है।

आप जब तक इस नेत्र पटल के समक्ष रहते हो वो क्षण पलक झपकते ही चला जाता है और आपके बिना सानिध्य के बिताया एक एक निमिष कोटि जन्मो के जैसा लगता है।

हम आपसे झगड़ती हैं उसके पीछे तुम देखोगे तो पाओगे की कितना प्रेम छुपा है आपके लिए। हमारी क्या बिसात की आपसे लड़ें झगड़े ये तो आपने इतना हक़ हमे दिया हुआ है।आप हमारी किसी भी गतिविधि से प्रसन्न होते हैं उससे बढ़कर ओर हमे क्या चाहिए।

ऐसा लगता है यदि हमारे रोने से भी आप प्रसन्न होते है तो रो रो कर एक तालाब क्या पूरा का पूरा सागर भर दें।

बस मेरे नाथ! मेरे जीवन धन आप मुझसे प्रसन्न रहिये , आपको खुश करने में , आपकी भोग्या वस्तु बनु ऐसी कृपा इस दासी पर सदैव रखिये।

केवल और केवल आपकी निज वस्तु बने रहने की आकांक्षा रखने वाली आपकी दासी।



Hey Shyamsundar! Oh gopesh! We are your unpaid slaves. Without you we have no value, no existence. This life is being cut with the help of your remembrance. No it is dull.

As long as you stay in front of this eye, that moment goes away in the blink of an eye and without your company, it seems like a blink of an order of birth.

We quarrel with you, if you look behind it, you will find how much love is hidden for you. What our chessboard is to fight with you, you have given us this much right. You are happy with any of our activities and what do we need more than that.

It seems that if you are happy even by our crying, then can a pond fill the whole ocean by crying.

Just my lord! May you be happy with me in my life, to make you happy, to be your object of pleasure, always keep such grace on this maidservant.

Your maidservant aspiring to remain the one and only your possession.

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *