परमात्मा को साथ रखते हुए यदि हम किसी से प्रेम करते हैं तो प्रेमी में परमात्मा की खोज करते हैं। हम यदि प्रेमी के चरण स्पर्श करते हैं तो अन्तर ह्दय में परम प्रभु को बिठाकर उस परमात्मा से कहते हैं कि हे जगत के मालिक तुम इन चरणों में समाये हुए हो मै तुम्हारी वन्दना करता हूं। इन चरणों में मुझे तुम ही दिखाई दे रहे हो मै तुम्हे शिश नवाकर अन्तर्मन से प्रणाम करता हूँ ।भक्त भगवान् नाथ का बन कर उन चरण वन्दना में इतना गहरा डुब जाता है कि उस की आंखों से आंसू बहने लगते हैं। आंसू भगवान को अर्पण कर देता है। हे मेरे परमेशवर स्वामी भगवान् नाथ तुम तो कण कण में समाये हुए हो। ये संसार ये शरीर तुम्हारे द्वारा रचित सृष्टि में है। अनीता तुमको शीश झुका प्रणाम करती हैं। मेरे स्वामी भगवान् नाथ तुम्हारी लीला को कोई नहीं समझ सकता है। ये सब प्रभु आप मुझ पर अपनी कृपा दृष्टि से दिल में हर्ष और आन्नद प्रदान कर रहे हैं।
अनीता गर्ग
Keeping God with us, if we love someone, then we search for God in the lover. If we touch the feet of the lover, then sitting in the inner heart of the Supreme Lord, we say to that God that you are absorbed in these feet, the master of the world, I worship you. I can see you only in these feet, I bow down to you and bow down to you. The devotee becomes so deeply immersed in worshiping those feet of Lord Nath that tears start flowing from his eyes. Tears are offered to God. O my Supreme Lord Swami Bhagwan Nath, you are absorbed in every particle. This world, this body is in the creation created by you. Anita bows to you bowing her head. My lord Bhagwan Nath no one can understand your Leela. All this Lord, you are giving me joy and happiness in my heart with your grace. Anita Garg